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पिग फार्मिंग की शुरूआती जानकारी Basic Knowledge of Pig Farming

पिग फार्मिंग की शुरूआती जानकारी 

शुकर पालन में बहुत से किसान ऐसे भी होते हैं जो शूकर पालन तो कर लेते हैं लेकिन जानवरों का शुरूआती नाम और जानवरों में अंतर भी नहीं पता होता।  जैसे कि कई बार हमने देखा है कि  पिगलेट और वीनर  या फिर ग्रोवर का अंतर बहुत से किसानों को नहीं पता होता। ये ठीक उसी तरह की बात है जैसे कि  कोई व्यक्ति कार चला रहा है लेकिन उसे क्लच , ब्रेक और एक्ससेलेरेटर के बीच का अंतर ही न पता हो। आज मैं यहाँ इस ब्लॉग में बहुत ही शुरूआती जानकारियां देने जा रहा हूँ , इनपर सभी ध्यान दें और अपनी बातचीत की भाषा में भी इसी को अपनायें। 
भारत में सबसे पहले एडवर्ड कैवेंटृस ने सन 1889 में यूरोप से अच्छी नस्ल को इम्पोर्ट किया सी. डी. ऐफ. अलीगढ में , उसके बाद सन 1930 में एक बेकन फेक्टरी के नाम से मांस उत्पादन संयंत्र का आरम्भ हुआ।   

पिगलेट : वह नर  या मादा बच्चा जिसे उसकी माँ के साथ दूध पिलाया जा रहा हो , वह पिगलेट कहलाता है।  इसकी उम्र को आप तय नहीं कर सकते।  यदि किसान २१ दिन में अपने सूकर शावक को दूध से हटाता है तो २१ दिन तक शावक पिगलेट ही कहलाता है, हो सकता है किसी किसान के यहाँ यह उम्र २ माह हो। 
पिगलेट 

वीनर : वह नर या मादा शूकर शावक जो माँ के दूध से अलग हुआ हो वीनर कहलाता है। माँ के दूध से अलग हटाने की प्रक्रिया को वीनिंग कहा जाता है। दूध से अलग हटाने के १० दिन बाद तक शूकर  का शावक वीनर ही कहलाता है। वीनर पूरी तरह से फीड पर निर्भर होता है। 


ग्रोवर : 18 किलोग्राम से 45 किलोग्राम तक के शूकर नर व मादा ग्रोवर कहलाते हैं। इस समय में इन जानवरों के आंतरिक अंगों का विकास चल रहा होता है और लगभग 45 किलोग्राम के होने तक इनके शरीर के आंतरिक अंग विकसित हो चुके होते हैं , इनका शेष शारीरिक विकास फिनिशिंग के समय होता है। 
ग्रोवर 

फिनिशर :  45 किलोग्राम से 100 किलोग्राम तक भार वाले शूकर फिनिशर कहलाते हैं। इनका प्रयोग मूलतः पोर्क के उत्पादन में किया जाता है। इनकी उम्र का समयकाल लगभग पांचवे माह से लेकर लगभग आठ माह तक का होता है। 

बोर : वह नर शुकर जिसे बधिया / खस्सी न किया गया हो और जो मेटिंग ( मादाओं को गाभिन) कर रहा हो , बोर कहलाता है। इसका शारीरिक बजन लगभग 100 किलोग्राम से शुरू होकर 250 किलोग्राम तक हो सकता है। वैसे नर अथवा मादा शुकर का शारीरिक बजन लगभग 450 किलोग्राम तक भी पाया जाता है। 

एडल्ट मेल : वह नर जिसकी उम्र आठ माह से अधिक हो और जिससे प्रजनन कार्य न लिया गया हो , वह व्यस्क नर कहलाता है। वयस्क नर को ही अपनी सुविधानुसार बोर बना लिया जाता है। 
बोर / वयस्क नर 


हॉग : वह नर शूकर जिसे बधिया कर दिया गया हो और प्रजनन कार्य करने में सक्षम न हो , हॉग कहलाता है। हॉग केवल मांस / पोर्क उत्पादन हेतु काम आते हैं। सामान्यतया लगभग 100 किलोग्राम या इससे ज्यादा बजन वाले हॉग को ही पोर्क के उत्पादन हेतु बेचा जाता है। 
हॉग 

गिल्ट : वह मादा शूकर जिसकी उम्र लगभग सात माह या इससे ज्यादा हो , जो गाभिन होने के लिए पूरी तरह से तैयार हो लेकिन एक बार भी गाभिन न हुई हो , गिल्ट कहलाती है।
गिल्ट 

 ऐसी मादा शूकर को कुछ हिन्दीभाषी क्षेत्रों में पहलोन मादिन भी कहा जाता है। 

साउ : वह मादा शूकर जिससे कम से कम एक बार प्रजनन का कार्य ले लिया गया हो और जिससे बच्चे लेने का कार्य लिया जा रहा हो , साउ कहलाती है। मूलतः साउ की उम्र लगभग एक वर्ष या उससे अधिक ही होती है। इन मादाओं का शारीरिक विकास पूर्ण हो चुका होता है। 
साउ 

सूकर बाड़ा : सूकर फार्म में बने घर जिसमे कई सूकर एकसाथ पाले जाते हैं , सूकर बाड़ा कहलाता है। 

पेन : सूकर बाड़े में बने बहुत से छोटे छोटे घर पेन कहलाते हैं। इन्हे एक या दो शूकरों या फिर मादा शूकर को रखने के काम में लिया जाता है। 

लिटर और लिटर साइज़ : एक बाड़े / पेन में एक मादा शूकर जितने बच्चो को जन्म देती है , उस पूरे पिगलेट के संख्या समूह को लिटर कहा जाता है। मादा शूकरी के द्वारा जन्म लेने वाले बच्चो की संख्या उस मादिन का लिटर साइज़ कहलाता है।

लोथ : पोर्क उत्पादन के समय वध किये गए सूकर का सिर तथा आंत अलग  करने के बाद बचे हुए हड्डी और मांस को लोथ कहते हैं। जिन शूकरों की नस्ल अच्छी होती है और ड्राई फीड जिन्होंने खाया होता है उनमे लोथ 70 % से 85 % तक निकलता है। देशी शूकर में लोथ का प्रतिशत 60 से 70 होता है। 


उम्मीद है जानकारी आपको पसंद आई होगी। 

धन्यवाद 

   




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