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पिग फार्मिंग में फीड की ऊर्जा का महत्व / Role of Energy in pig feed

पिग फार्मिंग में फीड की ऊर्जा का महत्व Role of Energy in pig feed आहार में ऊर्जा को या तो कैलोरी (Mcal) द्वारा मापा जाता है जैसा कि संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा में उपयोग किया जाता है या जूल (MJ) जैसा कि यूरोप में उपयोग किया जाता है। कुछ देशों में किलोकैलोरी (केकेसी) का उपयोग किया जाता है और अन्य में मेगाकैलोरी (मैकाल) = 1000 किलो कैलोरी। कैलोरी को जूल में बदलने के लिए 4.184 से गुणा करें। इस प्रकार 1Mcal = 4.184 MJ। सूअरों में सबसे आम पोषण की कमी ऊर्जा की होती है और आहार में उपलब्ध मात्रा को आमतौर पर या तो पचने योग्य ऊर्जा (DE) या चयापचय ऊर्जा (ME) के रूप में मापा जाता है। (एमई = 0.96DE)। सुपाच्य ऊर्जा ऊर्जा की वह मात्रा है जो भोजन में मौजूद होती है और आसानी से पच जाती है और आंत से शरीर में अवशोषित हो जाती है। सुअर ऊर्जा के पर्याप्त स्रोतों के बिना अपना डेवलपमेंट नहीं कर सकता क्योंकि यह ऊर्जा ही है ईंधन के रूप में शरीर में काम करती है पाचन क्रिया पूरी हो जाने के बाद शरीर का ध्यान भी रखती है और पूरे शरीर का रखरखाव करती है साथ ही शरीर की आंतरिक प्रक्रियाओं को चलाती है जिसके परिणामस्वर
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HOW TO START PIG FARMING PROJECT (10+01) PROFIT AND EXPENDITURES

Friends, If you want to start your own pig farm in India, you must be aware complete project details in which you must know regarding Breed, construction of shade, Feed and medication, because lack of knowledge can be the cause of failure of your project. So you should research on these following points. Breed Feed medicines Sale and purchase Complete project cost      Firstly you should visit few farm in your area for very first knowledge regarding this piggery project by which you can collect initial knowledge like feed and medicines. Here in this blog I am going to give you an break-up of all expenditure in small pig farming project. Presently the cost of one mature female pig is approx. 15,000 to 20,000 and rate of fattening pig (for pork purpose) is approx. is @Rs.120/kg. Cost of feed is very important factor in terms of cost calculation of project, because feed cot is an very major term. For cutting animals (Fattener) we use three types of feed. Starter feed Grower feed Finisher

Blood Infection in Pigs (Red Spots)/खून में इन्फेक्शन

  खून में इंफेक्शन / Blood Infection in Pigs खून में इन्फेक्शन हो जाना पिग फार्मिंग में होने वाली एक गंभीर बीमारी है,  खून में इन्फेक्शन होने पर नीचे लिखे हुए लक्षण दिखाई देते हैं  लगातार बुखार का रहना।  राशन कम खाना या कई बार न खाना।  शरीर में कमजोरी आते रहना।  शरीर पर लाल या नीले चकते बनना।  शरीर पर बने धब्बो में पास पड़ना या गलाव पड़ना।  ऐसी स्थिति आ जाने पर बिना देर किये सबसे पहले किसी अच्छे डॉक्टर से सलाह लें , अपने आप कोई ट्रीटमेंट न शुरू करें। ठीक इसी तरह के लक्षण एक और बीमारी में भी दीखते हैं जिसका नाम " स्वाइन ऐरिसेप्लास/  Erysipelas " होता है। " स्वाइन ऐरिसेप्लास" भी एक बहुत खतरनाक बीमारी है जिसे यदि समय पर न रोका जाय तो यह पुरे फार्म में भी फ़ैल जाती है। आम तौर पर  " स्वाइन ऐरिसेप्लास"  को बहुत सारे किसान स्वाइन फीवर / स्वाइन फ्लू समझ लेते हैं और उसी के हिसाब से इलाज भी करने लगते हैं।  " स्वाइन ऐरिसेप्लास" बीमारी हवा से नहीं बल्कि जानवर के लार से ही फैलती है।  अगर किसी भी जानवर को यह बीमारी लग जाती है तो वह जानवर जिस जगह खाना खाता है या ज

FAILURE REASONS IN PIG FARMING क्यों होते हैं पिग फार्म फेल

  क्या पिग फार्मिंग एक नुक्सान वाला व्यवसाय है ? दोस्तों, वैसे तो पिग फार्मिंग एक अच्छे प्रॉफिट को देने वाला व्यवसाय माना जाता है और भारत में पिग फार्म बहुत बड़े पैमाने पर शुरू हुए लेकिन यह भी एक सच्चाई है कि पिग फार्म शुरू होने के डेढ़ से दो सालों के अंदर बंद भी बहुत बड़े पैमाने पर हुए है।  ऐसी स्थिति किसी एक राज्य में नहीं बल्कि लगभग उत्तर भारत के सभी राज्यों में देखि गई है।  वैसे तो पिग्स की डिमांड और सप्लाई में जमीन आसमान का अंतर है आज 2021 में भी, लेकिन फिर भी इस सेक्टर में उतनी तरक्की नहीं हो सकी जिसकी उम्मीद लगाकर हम सभी लोग बैठे हुए थे। जब हमने अपने अनुभव और बहुत से किसान भाइयों से उनके अनुभव लिए तो पाया कि इस पिग फार्मिंग बिजनेस में असफलता के कई कारन रहे, जोकि विस्तार से नीचे बताये जा रहे हैं।  इन बताये हुए कारणों को अगर कोई नया फार्मर अपने ध्यान में रखे तो वह शायद फेल नहीं होगा,  पिग फार्मिंग में फेल होने के कारण  ( FAILURE REASONS OF PIG FARMING IN INDIA) गलत प्रोजेक्ट कॉस्ट।  पिग फार्मिंग को पार्ट टाइम बिजनेस समझना।  लेबर की समस्या।  इंफ्रास्ट्रक्चर की कमियां।  सही ब्रीड का न

How to start Pig Farm कैसे शुरू करें शूकर पालन / पिग फार्मिंग

कैसे शुरू करें शूकर पालन / पिग फार्मिंग    दोस्तों , अगर आप आज की तारीख में पिग फार्मिंग / शूकर पालन को शुरू करना चाहते हैं तो आजका ब्लॉग आप ही के लिए है।  इस ब्लॉग में हम आपको यह बताने जा रहे हैं कि पिग फार्म की शुरुआत करते समय आप किन गलतियों को करने से बचें , कई बार पूरी जानकारी न हो पाने की बजह से भी बहुत सारे किसान भाइयो को बड़ा नुक्सान उठाना पड़ता है।  नए पिग फार्म को शुरू करते वक्त जिन बातो का मुख्यरूप से ध्यान रखना चाहिए , निम्न हैं।  लीगल फॉर्मेलिटीज।  सही जगह का चुनाव करना।  सही शेड का निर्माण।  ड्रेनेज की व्यवस्था।  नस्ल का चुनाव।  राशन / फीड।  १. लीगल फॉर्मेलिटीज ( जरुरी कागज़ात ) फार्म को शुरू करने से पहले आप अगर नीचे लिखे प्रमाण पत्र आदि बनवा लेते हैं तो आपको भविष्य में अनावश्यक परेशानियों को नहीं झेलना पड़ेगा।  अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) [नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट] - यह प्रमाण पत्र आपकी जमीन जिस ग्राम पंचायत / नगर पंचायत / गाँव में आती होगी , वहां का प्रधान/सरपंच/चेयरमेन अपने लेटर हेड पर बनाकर देगा।  प्रशिक्षण प्रमाण पत्र (शूकर पालन ट्रेनिंग सर्टिफिकेट) को अपने पास रखे , उसके

Use of Moringa in Pig Feed

मोरिंगा / सहजन  मोरिंगा को हम सभी मुनगा या फिर सहजन के नाम से भी जानते हैं , उत्तर भारत के राज्यों में इसे सहजन के नाम से ही जाना जाता है जबकि मध्य भारत के राज्य जैसे मध्य प्रदेश , छत्तीसगढ़ आदि राज्यों में इसे प्रायः मुनगा  के नाम से जाना जाता है।  इस पौधे को अगर संजीवनी बृक्ष के नाम से परिभाषित किया जाय तो भी कम न होगा। हमने देखा है कि दक्षिण भारत के अधिकतर राज्यों में इस पेड़ के पत्तियों और इसकी कच्ची फलिओं जिन्हे ड्रमस्टिक के नाम से भी जाना जाता है का प्रयोग अक्सर अपने खाने की सब्जियों के रूप में किया जाता है।  जो लोग सहजन के गुणों के बारे में जानते हैं वे इसको जादुई बृक्ष कहते हैं ,  आप लोगों को अपनी पिग पिग फीड बनाते समय इस पेड़ की पत्तो का प्रयोग जरूर करना चाहिए। इसका इस्तेमाल आप नीचे लिखे तरीके से बहुत ही आसानी से कर सकते हैं।  सबसे पहले आप हरी पत्तियों को इकठ्ठा कर ले , और किसी भी छाया / शेड में उसे २ से ३ दिन के लिए सूखने दें।  ध्यान रहे कि धुप में न सुखायें।  सूखने के बाद पत्तियों को आप अपनी फीड में मिलाएं।  १०० किलो ड्राई फीड में ५ किलो हरी पत्ती से जितनी सुखी पत्तियां मिली हो

Live Pig's and Pork's rate in Assam in May 2021

  Rate of live pigs and pork in Assam (Guwahati) (IN MAY 2021) PORK RATE - RS. 320 - 350 PER KG LIVE PIGS RATE - RS. 175 - 180 PER KG Dear friends, If you are pig farmer then you must aware of the rate in north east states for your live stock. If you sale your live stock here in north India like in Delhi, Punjab, Haryana, UP then only Rs. 110/kg to maximum Rs. 120/kg will be provided by the buyers, if you 2 to 3 farmers collect 18 Tons live pigs together then you can easily sent your truck in north east (Assam, Nagaland). According to our experience the cost transportation can not be more than Rs. 25/kg. For any help and support or guidance call us on 09761491000. Thanks and regards Thank You. Gaur Agro Distt. Bulandshahr (UP) E-Mail - gauragro@gmail.com                                                        Mobile : (+91-9761491000)